Thursday 7 June 2012

विकल्प बहुत है---


किसी अप्रिय घटना पर नाकारत्मक सोच के बजाय,हमें तुरंत,अन्य विकल्पों की ओर उन्मुख हो जाना चाहिये.
पहली स्थिति में, ’जो हो ना सक’ वह अब होने वाला नहीं है,उस पर पश्चाताप करना व किसी व्यक्तिविशेष या परिस्थितिविशेष के प्रित अपने पूर्वाग्रहों को कोसना व दुराग्रहों को जन्म देना,परिणामस्वरूप हमारी ऊर्जा व्यर्ठ में नष्ट होने लगेगी,एक नाकारात्मक ऊर्जा से घिर जाएंगे अतः मानसिक-शारीरिक पीडाओं को झेलने के अतिरिक्त हमारे पास और कोई विकल्प शेष नहीं रह जाएगा.
दूसरी स्थिति में यदि,उस अप्रिय घटना के बोझ को कांधों से उतार कर,रास्तोंपर बढ चलें ,कदम बहुत हल्के हो जाएंगे,विकल्प ज्म्गली फूलों की तरह रास्तों के दोनों ओर खिलते नज़र आएंगे.
साथ ही जीवन के प्रित,एक नज़रिया और पल्ल्वित हो जाएगा,जहां नित-नये फूल सुवासित होते हैं,फूल मुरझाते अवश्य हैं लेकिन डाली कभी खाली नहीं होती है.
विकल्पों के फूल भी,नित-नये,खिलते रहते है,मुरझाने के बावज़ूद.
कांधों से,पूर्वाग्रहों-दुराग्रहों के बोझ उतर जाते हैं तभी तो हम झुककर,फूलों को सूंघ पाते हैं—एक नई जीवन-ऊर्जा के साथ.
जीवन की धारा में जो जीवन-जल प्रभावित हो रहा है,वह हर-पल नया है,एक-पल भी एक बूंद ठहती नहीम है.
जीवन की धारा को कल-कल बहने दीजिये,और कभी-कभी,अंजुलि में भर होठों को तर भी कर लीजिये.
इस जीवन की आपा-धापी मेम,अपने कंधों को हलका ही रहने दीजिये तो पैर भी हल्के रहेंगे,
चलना,लयबद्ध हो जाएगा.
                         जीवन में विकल्प बहुत हैं.


4 comments:

  1. राह कोई भी अंत नहीं है..

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  2. छिप छिप अश्रु बहाने वालों, मोती व्यर्थ लुटाने वालों
    कुछ पानी के बह जाने से , सावन नहीं मरा करता है.....
    नीरज जी की ये कविता याद आ गयी आप की रचना पढ़कर

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  3. सकारात्मक सोच लिए एक अच्छी पोस्ट ..

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